गंगा भागीरथी : भारतीय संस्कृति की जीवनदायिनी
गंगा भागीरथी का ऐतिहासिक महत्व
गंगा नदी भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। श्री गंगा भागीरथी महात्म्य ग्रंथ में इसका महात्म्य वर्णित है। गंगा के बिना भारतीय संस्कृति और वांग्मय की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह नदी हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक साहित्य में विशेष स्थान रखती है।
गंगा की महानता
सभी प्राचीन ग्रंथों में गंगा की महानता का उल्लेख है। यह नदी जीवनदायिनी और मुक्तिदायिनी है। गंगा का पवित्र जल धरती पर जीवन को संवारता है और भवसागर से पार लगाता है। इसका महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह पर्यावरण और जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
गंगा की भक्ति और सेवा
गंगा के प्रति सच्ची सेवा और भक्ति रखने वाला स्वयं तर जाता है और दूसरों को भी तारने की सामर्थ्य रखता है। ‘स तरति से तरति से लोकांस्तारयति’ का अर्थ है कि जो गंगा की भक्ति करता है, वह स्वयं तर जाता है और अन्य लोगों को भी तारने की शक्ति प्राप्त करता है।
गंगा की रक्षा: भारतीयता की रक्षा
गंगा कोटि-कोटि भारतियों की श्रद्धा है। यह पूजनीय है, हमारी संस्कृति का हिस्सा है। गंगा की रक्षा करना भारतीयता की रक्षा करना है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम गंगा को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखें।
गंगा और उसका उद्गम
गंगा नदी का उद्गम स्थान गोमुख है, जो गंगोत्री ग्लेशियर का हिस्सा है। गोमुख उत्तराखंड के हिमालय में स्थित है और यह स्थान धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यहाँ से गंगा नदी का प्रवाह प्रारंभ होता है और यह स्थान धार्मिक यात्रियों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है। गंगोत्री धाम, जहाँ गंगा माता का मंदिर है, इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। गंगा के शुद्ध और पवित्र जल का स्रोत गोमुख है, जो भारतीय संस्कृति में गंगा की महानता को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
गंगा भारतीय संस्कृति की धरोहर है। इसका महत्व असीम है और इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। गंगा के बिना हमारी संस्कृति और जीवन की कल्पना अधूरी है। गोमुख और गंगोत्री जैसे पवित्र स्थान गंगा की महिमा को और भी बढ़ाते हैं और हमें गंगा की महत्ता का स्मरण कराते हैं।